
बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा के मंच से विपक्षी एकता फिर से एक फ्रेम में दिखाई दी — राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, और मुकेश सहनी एक ही मंच पर दिखे, और संदेश साफ़ था:
“हम साथ हैं, और पूरे फॉर्म में हैं!”
सवाल सीधा था – “PM तय, तो CM पर चुप्पी क्यों?”
प्रेस वार्ता में जब एक पत्रकार ने तेजस्वी यादव के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने चुनाव जीतने पर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही, तो पलटकर सवाल आया:
“फिर कांग्रेस तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने पर चुप क्यों?”
राहुल का जवाब: पार्टनरशिप मज़बूत, टेंशन का सवाल ही नहीं
राहुल गांधी का जवाब उतना ही राजनीतिक था जितना संयमित:
“बहुत अच्छे तरीके से एक पार्टनरशिप बनी है। सारी पार्टियां मिलकर काम कर रही हैं। कोई टेंशन नहीं है और आपसी सम्मान है।”
“हम वैचारिक रूप से जुड़े हैं, राजनीतिक रूप से जुड़े हैं। हमें मज़ा आ रहा है और जनता का साथ भी मिल रहा है। लेकिन… वोट चोरी रोकनी है।”
मतलब साफ़ है — सीट की बात बाद में, सीटिंग अरेंजमेंट पहले!
गठबंधन में “गंभीरता + गप्प” दोनों साथ
-
तेजस्वी यादव बोले थे – “PM राहुल जी”

-
राहुल बोले – “हम सब मस्त हैं”
-
जनता बोले – “तो बताइए CM कौन बनेगा?”
-
गठबंधन बोले – “अभी मज़ा लो, स्क्रिप्ट बाद में सुनाएँगे!”
गठबंधन मज़बूत, लेकिन भविष्य की स्क्रिप्ट अभी ब्लर
राहुल गांधी का ये जवाब विपक्षी एकता का पोस्टर फ्रेंडली वर्जन था – कोई क्लियर ऐलान नहीं, लेकिन कोई झगड़ा भी नहीं।
बिहार की राजनीति में फिलहाल सब कुछ फ्रेम में फिट दिख रहा है, लेकिन चुनावी क्लाइमेक्स तक कहानी में कई ट्विस्ट बाकी हैं।
हीरा पन्ना (1973): देव आनंद की रोमांस, रहस्य और हीरे से जड़ी फ़िल्म
